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Thursday, October 28, 2010

रिश्तों का रसायन और प्रयोगशाला

करण जौहर की घोर असफल फिल्म ‘वी आर फैमिली’ में करीना कपूर अपने पति की पहली पत्नी से उत्पन्न संतानों से दोस्ताना विकसित करती हैं। यथार्थ जीवन में भी वह सैफ-अमृता के बच्चों से दोस्ताना निभाती हैं। आजकल फिल्म उद्योग में इस तरह के बहुत से रिश्ते हैं। शबाना आजमी जावेद-हनी के बच्चों फरहान और जोया से बहुत प्यार करती हैं। अरसा पहले क्या जावेद अख्तर ने भी अपने पिता की दूसरी पत्नी से उत्पन्न संतानों से दोस्ताना निभाया था या आज उनके संबंध कैसे हैं, यह कोई नहीं जानता।

किरण राव भी आमिर-रीना के बच्चों से स्नेह का व्यवहार रखती हैं। श्रीदेवी बोनी कपूर-मोना के पुत्र अजरुन से अच्छा व्यवहार रखती हैं, परंतु अजरुन की बहन शायद उनसे दूरी बनाए हुए हैं। हेमा मालिनी के संबंध सनी और बॉबी देओल से सामान्य हैं, परंतु सनी-बॉबी हेमा की पुत्रियों के साथ कभी नहीं देखे गए। हालांकि इसका अर्थ खराब संबंध नहीं हो सकता। नादिरा बब्बर भी राज-स्मिता पाटिल के पुत्र प्रतीक को प्यार करती हैं और उनके बच्चों के आपसी रिश्ते भी मधुर हैं। अनुपम खेर अपनी पत्नी किरण के पुत्र सिकंदर को बहुत ज्यादा स्नेह करते हैं।

अनेक विशेषज्ञों की राय है कि आधुनिक काल में सौतेले रिश्ते कटु नहीं रहे, क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता को उनकी कमजोरियों के साथ स्वीकार करते हैं। जहां रिश्तों में इतनी मिठास है, वहां यह भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि ये सारे प्रकरण अमीर लोगों से जुड़े हैं। क्या किरण राव आमिर-रीना के बच्चों के साथ संबंध बिगाड़कर एक दिन भी आमिर के साथ रह सकती हैं? क्या करीना सैफ-अमृता के बच्चों से बुरे संबंध रखकर भी सैफ के साथ बनी रह सकती हैं? इन सारे प्रकरणों में कोई एक बहुत अधिक धनवान और सफल है, जिसके कारण सौतेलों में सगा सा प्यार नजर आ रहा है। विराट धन और अकल्पनीय सफलता रिश्तों में सीमेंट का काम भी करती है।

मुफलिसी के दौर में सौतेलों और विमाता के संबंध मधुर नहीं रह पाते। इस कालखंड में धन और सफलता रिश्तों के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी परिवर्तन कर रहे हैं। जिस उच्च भावना से युधिष्ठिर ने अपनी विमाता माद्री के बच्चों की रक्षा की, वह आज कहीं नजर नहीं आती। सफलता, प्रसिद्धि और असीमित धन रिश्तों के लिए भी सुविधाजनक प्रयोगशाला बनाते हैं, जिसमें सारे धागे धन से उत्पन्न प्रेम के दूध में नहाए नजर आते हैं। यह स्वाभाविक है कि प्राय: टूटे हुए विवाह के बच्चे अपनी विमाता से मन ही मन नफरत करते हैं और अपने पिता के दोष से उत्पन्न सारी घृणा बेचारी माता पर उतारते हैं।

यह भी अजीब बात है कि जिन बच्चों ने अपने पिता को दूसरा रिश्ता बनाते देखा और विरोध किया है, जवान होकर अपने पिता वाली गलती उन्होंने स्वयं भी की है। तब क्या हम यह मानें कि इस समय का सारा क्रोध सुविधा के छिन जाने के कारण था और युवा होने पर उन्हीं सुविधाओं और धन की शक्ति प्राप्त होते ही उन्होंने भी दूसरी स्त्री पर अधिकार जताया? रिश्तों का रसायन विचित्र है, परंतु रिश्तों की प्रयोगशाला धन का बायप्रोडक्ट है(जय प्रकाश चौकसे,दैनिक भास्कर,28.10.2010)।

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