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Monday, October 11, 2010

गुज़ारिश

‘जोधा अकबर’ और ‘धूम-2’ के बाद अभिनेता हृतिक रोशन और अभिनेत्री ऐश्वर्य राय बच्चन एक बार फिर निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘गुजारिश’ में नजर आने वाले हैं। यह फिल्म किस बारे में है और दर्शकों को इससे क्या उम्मीदें हैं,कलाकारों के लिए ही नहीं,भंसाली के लिए भी यह फिल्म कितना महत्वपूर्ण है,जानिए पंकज शुक्ल से जिनका यह आलेख संडे नई दुनिया,द्वितीयांक,2010 में प्रकाशित हुआ हैः
कोई अपनी मौत की भी गुजारिश कर सकता है ? कैसे होते हैं वे हालात जब जिंदगी से बेपनाह मोहब्बत करने वाला कोई इंसान अपनी ही जिंदगी खत्म कर देना चाहता है ? खुदकुशी के जरिए नहीं बल्कि इच्छा-मौत की इजाजत पाकर । सुनने में ये विचार भले ही छह साल पहले रिलीज हुई स्पेन की फिल्म "द सी इनसाइड" की कहानी जैसे लगे लेकिन संजय लीला भंसाली ने भी इस बार कुछ-कुछ ऐसे ही जज्बातों का अपनी नई फिल्म "गुजारिश" में एहसास कराया है । यह फिल्म इस त्योहारी सीजन की बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक है और इसे ऐश्वर्या राय के कॅरिअर के लिए बेहद अहम माना जा रहा है । "गुजारिश" १९ नवंबर को रिलीज हो रही है ।

फिल्म "रावण" के फ्लॉप होने के बाद हालांकि "रोबोट" और "एक्शन रीप्ले" में भी ऐश्वर्या नजर आएंगी लेकिन संजय लीला भंसाली की फिल्म "हम दिल दे चुके सनम" से ही हिंदी सिनेमा में स्टार का तमगा पाने वाली ऐश्वर्या राय के लिए "गुजारिश" का चलना ज्यादा जरूरी है। इससे पहले रिलीज हो रही दोनों फिल्मों में कैमरा फिल्म के हीरो पर ज्यादा रहने वाला है । "रोबोट" में तो रजनीकांत के होने से ऐश्वर्या किसी सजावटी गुड़िया से कम नहीं लग रही हैं, वहीं "एक्शन रीप्ले" में भी उनका रोल ज्यादा दमदार नहीं बताया जाता । शायद इसी के चलते "गुजारिश" का ऐश्वर्या को भी बेसब्री से इंतजार है । उन्हें अपने लकी निर्देशक संजय लीला भंसाली के हुनर पर पूरा भरोसा है । वह कहती हैं, "संजय के लिखे हर किरदार ने मुझे बतौर अदाकारा हिंदी सिनेमा में आगे बढ़ने में मदद की है।" "हम दिल दे चुके सनम" की "नंदिनी" और "देवदास" की "पारो" ऐश्वर्या राय के कॅरिअर में मील के पत्थर रहे हैं । अब संजय लीला भंसाली उन्हें एक नर्स के तौर पर पेश करने जा रहे हैं । नर्स जिसका मकसद व्हील चेयर पर अपाहिज की जिंदगी जी रहे एक मशहूर जादूगर को उसके अतीत से बाहर लाकर उसका वर्तमान बनाना है । उसे पता है कि भविष्य पर उसका कोई अधिकार नहीं है लेकिन फिर भी जिंदगी की जुस्तजू से वह हारती नहीं है। संजय लीला भंसाली ही वह निर्देशक हैं जिन्होंने उन्हें पहले सलमान की हीरोइन बनाया, फिर शाहरुख व अजय देवगन की और अब वह अपने से काफी छोटे ऋतिक रोशन के साथ हैं।

अपनी पिछली फिल्म "सांवरिया" को हिंदी सिनेमा के तमाम दर्शकों की मिली आलोचना के बाद संजय लीला भंसाली भी जानते हैं कि "गुजारिश" उनके लिए कहीं बड़ा इम्तिहान है । उनकी फिल्म के कलाकारों की भी पिछली फिल्में फ्लॉप हो चुकी हैं लेकिन फिल्म के सह निर्माता रॉनी स्क्रूवाला की तरह संजय, ऐश्वर्या और ऋतिक रोशन की जोड़ी को सदियों या दशकों में बनने वाली एक जोड़ी नहीं मानते। वह बात करना चाहते हैं तो बस ऐश्वर्या राय की । उस ऐश्वर्या राय की जिसके किरदारों में उनकी जान बसती है । वह कहते भी हैं, "हां, ऐश्वर्या मेरी जान है । "नंदिनी" और "पारो" का जो रूप मैंने सोचा था वह सिर्फ और सिर्फ ऐश्वर्या ही पर्दे पर साकार कर सकती थी । उसे पता है कि मुझे उससे क्या चाहिए होता है और वह जानती है कि किसी किरदार को लेकर मेरी सोच क्या रहती है । मुझसे पूछा जाए तो मैं कहूंगा कि ऐश्वर्या हिंदी सिनेमा की सबसे संपूर्ण अदाकारा है । वह फिल्म में हो तो मैं किसी दूसरे के बारे में नहीं सोचता । लोग मुझसे पूछते हैं कि मेरी फिल्मों में ऐश्वर्या के नायकों की उम्र लगातार कम होती जा रही है तो मैं कहता हूं कि मैं चाहूं तो रणबीर को लेकर भी ऐश्वर्या के साथ फिल्म बना सकता हूं और मेरा यकीन कीजिए कि ऐश्वर्या की जोड़ी तब भी उतनी ही हसीन लगेगी।"

"गुजारिश" के बारे में संजय लीला भंसाली को इस बार बहुत भरोसा है । फिल्म की कलर टोन इस बार न "देवदास" की तरह लाल है और न ही "सांवरिया" की तरह नीली । वह इस बार "गुजारिश" की गलियों में अपने किरदारों को गुस्ताखियों की गलबहियां करते दिखाने वाले हैं । ऐसी ही एक गुस्ताखी ऐश्वर्या करती नजर आएंगी फिमुंबई से पंकज शुक्ल

कोई अपनी मौत की भी गुजारिश कर सकता है ? कैसे होते हैं वे हालात जब जिंदगी से बेपनाह मोहब्बत करने वाला कोई इंसान अपनी ही जिंदगी खत्म कर देना चाहता है ? खुदकुशी के जरिए नहीं बल्कि इच्छा-मौत की इजाजत पाकर । सुनने में ये विचार भले ही छह साल पहले रिलीज हुई स्पेन की फिल्म "द सी इनसाइड" की कहानी जैसे लगे लेकिन संजय लीला भंसाली ने भी इस बार कुछ-कुछ ऐसे ही जज्बातों का अपनी नई फिल्म "गुजारिश" में एहसास कराया है । यह फिल्म इस त्योहारी सीजन की बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक है और इसे ऐश्वर्या राय के कॅरिअर के लिए बेहद अहम माना जा रहा है । "गुजारिश" १९ नवंबर को रिलीज हो रही है ।

फिल्म "रावण" के फ्लॉप होने के बाद हालांकि "रोबोट" और "एक्शन रीप्ले" में भी ऐश्वर्या नजर आएंगी लेकिन संजय लीला भंसाली की फिल्म "हम दिल दे चुके सनम" से ही हिंदी सिनेमा में स्टार का तमगा पाने वाली ऐश्वर्या राय के लिए "गुजारिश" का चलना ज्यादा जरूरी है। इससे पहले रिलीज हो रही दोनों फिल्मों में कैमरा फिल्म के हीरो पर ज्यादा रहने वाला है । "रोबोट" में तो रजनीकांत के होने से ऐश्वर्या किसी सजावटी गुड़िया से कम नहीं लग रही हैं, वहीं "एक्शन रीप्ले" में भी उनका रोल ज्यादा दमदार नहीं बताया जाता । शायद इसी के चलते "गुजारिश" का ऐश्वर्या को भी बेसब्री से इंतजार है । उन्हें अपने लकी निर्देशक संजय लीला भंसाली के हुनर पर पूरा भरोसा है । वह कहती हैं, "संजय के लिखे हर किरदार ने मुझे बतौर अदाकारा हिंदी सिनेमा में आगे बढ़ने में मदद की है।" "हम दिल दे चुके सनम" की "नंदिनी" और "देवदास" की "पारो" ऐश्वर्या राय के कॅरिअर में मील के पत्थर रहे हैं । अब संजय लीला भंसाली उन्हें एक नर्स के तौर पर पेश करने जा रहे हैं । नर्स जिसका मकसद व्हील चेयर पर अपाहिज की जिंदगी जी रहे एक मशहूर जादूगर को उसके अतीत से बाहर लाकर उसका वर्तमान बनाना है । उसे पता है कि भविष्य पर उसका कोई अधिकार नहीं है लेकिन फिर भी जिंदगी की जुस्तजू से वह हारती नहीं है। संजय लीला भंसाली ही वह निर्देशक हैं जिन्होंने उन्हें पहले सलमान की हीरोइन बनाया, फिर शाहरुख व अजय देवगन की और अब वह अपने से काफी छोटे ऋतिक रोशन के साथ हैं। अपनी पिछली फिल्म सांवरिया को तमाम दर्शकों की मिली आलोचना के बाद,संजय लीला भंसाली भी जानते हैं कि गुजारिश उनके लिए कहीं बड़ा इम्तिहान है।

1 comment:

  1. सार्थक लेखन के लिये आभार एवं “उम्र कैदी” की ओर से शुभकामनाएँ।

    जीवन तो इंसान ही नहीं, बल्कि सभी जीव भी जीते हैं, लेकिन इस मसाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के चलते कुछ लोगों के लिये यह मानव जीवन अभिशाप बन जाता है। आज मैं यह सब झेल रहा हूँ। जब तक मुझ जैसे समस्याग्रस्त लोगों को समाज के लोग अपने हाल पर छोडकर आगे बढते जायेंगे, हालात लगातार बिगडते ही जायेंगे। बल्कि हालात बिगडते जाने का यही बडा कारण है। भगवान ना करे, लेकिन कल को आप या आपका कोई भी इस षडयन्त्र का शिकार हो सकता है!

    अत: यदि आपके पास केवल दो मिनट का समय हो तो कृपया मुझ उम्र-कैदी का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आप के अनुभवों से मुझे कोई मार्ग या दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष आपके या अन्य किसी के काम आ जाये।
    http://umraquaidi.blogspot.com/

    आपका शुभचिन्तक
    “उम्र कैदी”

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